MP News: कई बार ऐसी खबरें सामने आती हैं, जो न सिर्फ हैरान करती हैं, बल्कि समाज में फैली कुछ गंभीर समस्याओं की ओर भी इशारा करती हैं। मध्य प्रदेश के नीमच जिले के अठाना गांव के रहने वाले कृष्ण कुमार धाकड़ इन दिनों राजस्थान के बारां जिले के अंता कस्बे में अपने अनोखे विरोध के कारण सुर्खियों में हैं।
पत्नी द्वारा लगाए गए दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के झूठे आरोपों से तंग आकर कृष्ण कुमार ने अपनी ससुराल के सामने ‘498A टी कैफे’ नाम से एक चाय की दुकान खोली है। इस दुकान की खास बात यह है कि वे हथकड़ी पहनकर चाय बनाते हैं और अपने होर्डिंग के जरिए समाज को कानून के दुरुपयोग का संदेश दे रहे हैं। आइए, इस अनोखी कहानी को विस्तार से जानते हैं।
एक चाय की दुकान, जो बनी न्याय की पुकार
कृष्ण कुमार की चाय की दुकान कोई साधारण दुकान नहीं है। इसकी दीवारों पर लिखा है, “जब तक नहीं मिलता न्याय, तब तक उबलती रहेगी चाय।” यह नारा न सिर्फ उनके दर्द को बयां करता है, बल्कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A और भरण-पोषण से जुड़े कानून (धारा 125) के कथित दुरुपयोग की ओर भी ध्यान खींचता है। उनकी दुकान का एक और मजेदार होर्डिंग गाहकों को लुभाता है, जिस पर लिखा है, “आओ चाय पर करें चर्चा, 125 में कितना देना पड़ेगा खर्चा।” यह संदेश न केवल उनके संघर्ष को दर्शाता है, बल्कि समाज में व्याप्त इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा शुरू करने की कोशिश भी करता है।
कृष्ण कुमार के दोस्त और भीलवाड़ा के रहने वाले संपत बताते हैं कि कृष्ण और अंता की मीनाक्षी की शादी 6 जुलाई 2018 को हुई थी। शादी के बाद दोनों ने मिलकर मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू किया। यह कारोबार इतना सफल रहा कि उन्होंने कई बेरोजगार महिलाओं को रोजगार देकर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया। उनकी इस उपलब्धि की सराहना मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी की थी। 8 अप्रैल 2021 को शिवराज ने उनके काम को सम्मानित किया, जिससे उनकी ख्याति और बढ़ी। लेकिन 2022 में उनकी जिंदगी में ऐसा तूफान आया कि सब कुछ तहस-नहस हो गया।

जब पत्नी ने छोड़ा साथ और लगाए झूठे आरोप
कृष्ण कुमार की जिंदगी उस समय पूरी तरह बदल गई, जब उनकी पत्नी मीनाक्षी ने अक्टूबर 2022 में उन्हें छोड़कर अपने मायके अंता चली गईं। इसके बाद मीनाक्षी ने उनके खिलाफ IPC की धारा 498A (दहेज उत्पीड़न) और धारा 125 (भरण-पोषण) के तहत मुकदमा दर्ज करवाया। कृष्ण का कहना है कि ये सारे आरोप झूठे हैं और इनके कारण उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई। कभी यूपीएससी की तैयारी करने वाला यह युवक, जो प्रीलिम्स परीक्षा पास कर चुका था, इन मुकदमों के चलते अपनी पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो गया।
कृष्ण बताते हैं, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरी जिंदगी इस मोड़ पर आ जाएगी। मेरे सपने, मेरी मेहनत, सब कुछ इन झूठे आरोपों की भेंट चढ़ गया। मैंने यह चाय की दुकान इसलिए शुरू की, ताकि लोग समझ सकें कि कैसे कुछ लोग कानून का गलत इस्तेमाल करके पुरुषों को फंसा रहे हैं।”
टीन शेड में बसर, मां का सहारा बने कृष्ण
कृष्ण कुमार की जिंदगी अब टीन की छत के नीचे गुजर रही है। उनके पिता का पहले ही देहांत हो चुका है, और अब वे अपनी बूढ़ी मां के इकलौते सहारा हैं। वे कहते हैं, “इन झूठे केसों ने मुझे न सिर्फ मानसिक रूप से तोड़ा, बल्कि सामाजिक रूप से भी प्रताड़ित किया। कई बार मेरे मन में आत्महत्या का ख्याल आया, लेकिन अपनी मां की चिंता ने मुझे ऐसा करने से रोक लिया।” उनकी यह कहानी सुनकर यह तो बिलकुल साफ हो जाता है कि वे न सिर्फ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक दबावों से भी जूझ रहे हैं।

धारा 498A और कानून का दुरुपयोग: एक गंभीर मुद्दा
कृष्ण कुमार की कहानी केवल उनकी व्यक्तिगत लड़ाई तक सीमित नहीं है। यह समाज में एक बड़े मुद्दे की ओर इशारा करती है। IPC की धारा 498A को महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया था, ताकि दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामलों में उन्हें न्याय मिल सके। लेकिन कई बार इस कानून का दुरुपयोग भी देखने को मिलता है।
2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कहा था कि ऐसे मामलों में पहले जांच होनी चाहिए और बिना सबूत गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए। ओडिशा हाई कोर्ट ने भी 2023 में इस धारा के गलत इस्तेमाल पर टिप्पणी की थी, जिसमें कहा गया कि कई बार महिलाएं पति और उनके परिवार पर दबाव बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि धारा 498A के तहत दर्ज मुकदमों में गिरफ्तारी गैर-जमानती होती है, जिसके कारण कई बार बेगुनाह लोग भी फंस जाते हैं। ऐसे में पुरुषों के लिए भी कुछ कानूनी सुरक्षा की जरूरत महसूस की जा रही है। दिल्ली की एक अदालत ने 2016 में कहा था कि पुरुषों की प्रतिष्ठा और सम्मान की रक्षा के लिए भी कानून बनाने की जरूरत है, क्योंकि मौजूदा व्यवस्था में केवल महिलाओं के अधिकारों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।
क्या है धारा 498A और धारा 125?
- धारा 498A (IPC): यह कानून पति या ससुराल वालों द्वारा पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने के खिलाफ है। इसमें सजा के साथ-साथ गैर-जमानती गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसका मतलब है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है।
- धारा 125 (CrPC): यह कानून पत्नी, बच्चों या माता-पिता को भरण-पोषण देने के लिए बनाया गया है। अगर कोई पति अपनी पत्नी को आर्थिक सहायता नहीं देता, तो यह धारा लागू हो सकती है।
हालांकि, इन कानूनों का उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षा देना था, लेकिन कई मामलों में इनका गलत इस्तेमाल भी हुआ है। इससे कई पुरुष और उनके परिवार मानसिक और आर्थिक तनाव का शिकार हुए हैं।
क्या आप भी मानते हैं कि इस तरह के अनोखे विरोध समाज में बदलाव ला सकते हैं? अपनी राय हमें जरूर बताएं।
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