Kanpur Dhirendra Paswan Murder Case: लक्ष्मणखेड़ा गांव की गलियां आज खामोश हैं, मगर हर दीवार, हर चौखट चीख-चीखकर एक सवाल पूछ रही है – रिश्तों की कीमत अब बाकी कहां? धीरेंद्र पासी, एक मेहनती ट्रैक्टर मालिक, जो अपने खून-पसीने से परिवार का पेट पालता था, आज उसकी चारपाई पर सिर्फ खून के छींटे बाकी हैं। उसकी हत्या की दास्तान सुनकर गांव वालों का दिल दहल गया। और हत्यारे? कोई बाहर का गुंडा नहीं, बल्कि उसकी अपनी पत्नी रीना और उसका भतीजा सत्यम – वही सत्यम, जिसे धीरेंद्र बेटे से कम नहीं मानता था!
11 मई की वो काली रात: एक खौफनाक साजिश का आगाज
NBT नवभारत के अनुसार 11 मई की रात, जब पूरा गांव गहरी नींद में डूबा हुआ था, रीना और सत्यम ने मिलकर एक ऐसी साजिश रची, जिसने रिश्तों को तार-तार कर दिया। रीना, जिसके माथे पर धीरेंद्र ने प्यार से सिंदूर सजाया था, उसी रीना ने अपने प्रेमी सत्यम के साथ मिलकर अपने पति को मौत के घाट उतार दिया। सत्यम, जो धीरेंद्र का सगा भतीजा था, रीना के जेठ का बेटा। रीना और सत्यम के बीच काफी दिनों से नाजायज रिश्ता था, और इस नाजायज रिश्ते के बारे में धीरेंद्र को इसकी खबर लग चुकी थी। इसी बात को लेकर घर में कई बार झगड़ा भी हुआ था।
रीना ने हत्या वाली रात धीरेंद्र को खाने में नशीला पदार्थ मिला दिया। जैसे ही वो बेहोश हुआ, रीना ने सत्यम को फोन कर घर बुलाया। फिर दोनों ने मिलकर धीरेंद्र के सिर पर लकड़ी का तख्ता दे मारा। एक बार नहीं, बार-बार मारा , जब तक मारते रहे कि उसकी सांसें न थम गईं। पूरी चारपाई खून से लाल हो गई, मगर रीना और सत्यम का दिल जरा भी नहीं कांपा। हत्या के बाद दोनों ने खून के धब्बे साफ किए, हथियार धोया, और एक झूठी कहानी गढ़ डाली।
पड़ोसियों को फंसाने की थी चाल, मगर सच ने लिया यू-टर्न
रीना ने चालाकी दिखाते हुए पड़ोस के कीर्ति यादव और उनके बेटों रवि-राजू पर हत्या का इल्जाम लगा दिया। चुकी धीरेन्द्र दलित था और आरोपी यादव जिससे राजनितिक दल वाले भी एक्टिव हो गए और गांव वाले भी अड़ गए की आरोपियों की तुरंत गिरफ़्तारी हो नहीं तो लाश नहीं उठने देंगे, रीना ने पुलिस को बताया कि ट्रैक्टर की मरम्मत को लेकर उनका धीरेंद्र से झगड़ा हुआ था।
पुलिस ने पहले पड़ोसियों को उठा लिया, लेकिन पुलिस अपनी जाँच जारी राखी जब कॉल डिटेल्स की जांच हुई, तब जाकर सारा खेल खुल गया। हत्या की रात रीना और सत्यम के बीच लगभग 40 बार फोन पर बात हुई थी। जब पुलिस ने सत्यम से कड़ाई से पूछताछ की तो सत्यम ने पूछताछ में गुनाह कबूल कर लिया। रीना भी टूट गई और उसने सारी साजिश उगल दी।
जेल जाते वक्त रीना ने सत्यम को एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। शायद उसे अपने किए का एहसास हो रहा था। जेल में रातभर वो रोती रही, लेकिन अब उसके आंसुओं की कोई कीमत नहीं।
Kanpur Dhirendra Paswan Murder Case: चाची-भतीजे का रिश्ता या कलंक?
गांव के लोग अभी भी इस सदमे से उबर नहीं पाए। चाची और भतीजा – एक रिश्ता, जो मां-बेटे जैसा पवित्र माना जाता है। बचपन से सुनते आए हैं, “मां और चाची में कोई फर्क नहीं।” मगर इस घटना ने रिश्तों की सारी मर्यादाएं तोड़ दीं। धीरेंद्र, जो सत्यम को अपने बेटे की तरह प्यार देता था, उसी सत्यम ने उसकी जान ले ली। और रीना, जो धीरेंद्र की जिंदगी की हमसफर थी, उसने अपने प्यार के लिए पति का खून बहा दिया।
गांव के ही एक बुजुर्ग नम आँखों से कहते है की “हमारे जमाने में रिश्तों की इज्जत थी। आजकल तो प्यार के नाम पर लोग खून करने को तैयार हैं। आखिर बेचारे धीरेंद्र का क्या कसूर था? वो तो बस अपने परिवार के सुख शांति के लिए दिन रात मेहनत करता था “
एक सबक: रिश्तों की कीमत समझो, वरना खून ही बचेगा
यह घटना सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि एक खतरनाक चेतावनी है। आजकल प्यार, लालच और बेवफाई के चक्कर में लोग रिश्ते को चंद मिनट में दांव पर लग दे रहे हैं। धीरेंद्र की मौत ने न सिर्फ उसके परिवार को तोड़ दिया , बल्कि पूरे गांव को भी झकझोर कर रख दिया। आज लक्ष्मणखेड़ा की गलियों में चारो तरफ सन्नाटा पसरा है, मगर हर चेहरे पर एक ही सवाल है – आखिर रिश्तों का मोल अब कहां बचा?
हमारे भारतीय समाज में जहां परिवार को सबसे ऊंचा दर्जा दिया जाता है, वहां ऐसी घटनाएं हमें सोचने पर मजबूर करती हैं। क्या हम अपने रिश्तों की कद्र करना भूल गए हैं? भगवान धीरेंद्र की आत्मा को शांति दे, और हमें यह सबक मिले कि रिश्तों को सहेजो, वरना खून की लकीरें ही बाकी रह जाएंगी।
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