Crime Story: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक छोटा-सा कस्बा है सिकंदराबाद। इस कस्बे से कुछ ही किलोमीटर दूर एक गांव पड़ता है, जिसका नाम है भटौना। गांव छोटा-सा है, लेकिन हरा-भरा और शांत। यहां के लोग एक-दूसरे को अच्छे से जानते हैं, और गांव की हर बात जल्दी ही सबकी जुबान पर आ जाती है। लेकिन 15 अगस्त 2020 को भटौना गांव में एक ऐसी घटना हुई, जिसने पूरे गांव को हिलाकर रख दिया।
Crime Story: भटौना गांव की रहस्यमयी घटना, जिसे जान चौंक गए गांव वाले।
भटौना गांव में मकान नंबर 13 था, जो कई सालों से खाली पड़ा था। यह मकान गांव के किनारे पर था, और इसके आसपास जंगल-झाड़ियां थीं। गांव वाले इस मकान को अशुभ (भूतहा) मानते थे, क्योंकि इस माकन के पुराने मालिक की रहस्यमयी मौत की कहानियां काफी मशहूर थीं। कोई इसे भूत-प्रेत की कहानी कहता, तो कोई इसे पुरानी रंजिश का नतीजा मानता। लेकिन उस दिन, जब गांव का एक बच्चा, रमेश, अपने दोस्तों के साथ मकान नंबर 13 के पास खेल रहा था, उसने कुछ ऐसा देखा, जिसने सबके होश उड़ा दिए।
रमेश ने देखा कि मकान के पीछे की झाड़ियों में एक कुत्ता कुछ खींच रहा था। पहले तो उसने सोचा कि शायद कोई पुराना कपड़ा या कचरा होगा, लेकिन जब वह पास गया, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। कुत्ते के मुंह में एक इंसानी हड्डी थी। रमेश डर के मारे चिल्लाया और भागकर अपने पिता रामपाल के पास पहुंचा। रामपाल ने पहले तो बच्चे की बात को मजाक समझा, लेकिन रमेश की घबराहट देखकर वह कुछ और गांव वालों को लेकर मकान नंबर 13 पहुंचा।
वहां झाड़ियों में खोजबीन करने पर उन्हें एक उथला गड्ढा मिला, जिसमें से एक मानव शरीर का कुछ हिस्सा बाहर निकला हुआ था। यह एक महिला की लाश थी, जिसका चेहरा बुरी तरह क्षत-विक्षत था। शरीर पर सिर्फ फटे हुए कपड़े थे, और ऐसा लग रहा था कि उसे कई दिन पहले दफनाया गया था। गांव वालों में खुसुर-फुसुर शुरू हो गई। किसी ने कहा कि यह कोई हत्या है, तो किसी ने भूत-प्रेत की बात फिर से छेड़ दी। रामपाल ने तुरंत सिकंदराबाद पुलिस को सूचना दी।
सिकंदराबाद थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ तुरंत भटौना गांव पहुंचे। पुलिस ने मकान नंबर 13 के आसपास का इलाका घेर लिया और गड्ढे की खुदाई शुरू करवाई। खुदाई में जो लाश मिली, वह किसी युवती की थी। उसका चेहरा इस कदर खराब हो चुका था कि पहचानना मुश्किल था। शरीर के कुछ हिस्सों पर चोट के निशान थे, और ऐसा लग रहा था कि हत्या के बाद उसे जल्दबाजी में दफनाया गया था। यह दृश्य इतना भयावह था कि वहां मौजूद कई गांव वालों की सांसें थम गईं।

एसएचओ वीरेंद्र सिंह ने तुरंत अपने सीनियर अधिकारियों को सूचना दी। कुछ ही घंटों में सीओ अनिल राठौर, एसपी (ग्रामीण) राकेश मिश्रा और बुलंदशहर के एसएसपी संतोष कुमार सिंह क्राइम ब्रांच और फॉरेंसिक टीम के साथ मौके पर पहुंच गए। पुलिस के लिए हत्या का मामला कोई नई बात नहीं थी, लेकिन इस लाश की हालत और मकान नंबर 13 का पुराना इतिहास इस केस को रहस्यमयी बना रहा था। लाश की हालत देखकर साफ था कि हत्या कई दिन पहले की गई थी, और शायद कातिल ने पहचान छिपाने के लिए चेहरा जानबूझकर खराब किया था।
फॉरेंसिक टीम ने लाश के आसपास के इलाके की बारीकी से जांच शुरू की। डौग स्क्वायड को बुलाया गया, लेकिन समय बीत जाने की वजह से कुत्तों को कोई खास सुराग नहीं मिला। पुलिस ने मकान नंबर 13 और उसके आसपास के पूरे इलाके की तलाशी ली, लेकिन न तो कोई हथियार मिला और न ही लाश का कोई और हिस्सा। यह साफ था कि कातिल ने बहुत सोच-समझकर इस हत्या को अंजाम दिया था।
पुलिस ने गांव वालों से पूछताछ शुरू की। रामपाल ने बताया कि मकान नंबर 13 कई सालों से खाली था, और वहां कोई आता-जाता नहीं था। गांव में कोई भी महिला या युवती लापता नहीं थी, जिससे यह शक और गहरा गया कि शायद मृतका गांव की नहीं थी। एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने लाश का पंचनामा करवाकर उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। साथ ही, सिकंदराबाद थाने में अज्ञात कातिलों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया।
सीओ अनिल राठौर ने इस केस की जांच का जिम्मा एसआई रविंदर चौधरी को सौंपा। उनके साथ एसआई मनीष शर्मा और कुछ अन्य पुलिसकर्मियों की एक टीम बनाई गई। पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में पता चला कि मृतका की उम्र करीब 20-25 साल थी, और उसकी हत्या गला दबाकर की गई थी। शरीर पर बलात्कार के कोई स्पष्ट निशान नहीं थे, लेकिन चेहरे पर गहरी चोटें थीं, जो शायद हत्या के बाद दी गई थीं ताकि पहचान न हो सके।
पुलिस ने लाश को तीन दिन तक अस्पताल में रखा और आसपास के इलाकों में मुनादी करवाई। समाचार पत्रों में भी लाश की जानकारी छपवाई गई, लेकिन कोई भी उसकी पहचान करने नहीं आया। आखिरकार, पुलिस ने लाश को लावारिस मानकर उसका अंतिम संस्कार करवा दिया। लाश के कुछ ब्लड और टिश्यू सैंपल फॉरेंसिक जांच के लिए सुरक्षित रख लिए गए।
इस बीच, एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने अपनी सर्विलांस टीम को इस केस की गुत्थी सुलझाने का आदेश दिया। सर्विलांस टीम के इंचार्ज हेड कांस्टेबल राकेश त्यागी ने अपनी टीम के साथ जांच शुरू की। उन्होंने सबसे पहले मकान नंबर 13 के पुराने मालिक और उसके इतिहास की पड़ताल की। पता चला कि मकान पहले एक व्यापारी रमेश गुप्ता का था, जो कई साल पहले अपनी पत्नी की रहस्यमयी मौत के बाद गांव छोड़कर चला गया था। मकान तब से खाली था, और गांव वाले इसे अशुभ मानते थे।

सर्विलांस टीम ने मकान के आसपास के मोबाइल टावरों से डंप डाटा निकाला और यह पता लगाने की कोशिश की कि हत्या के समय आसपास कौन-कौन से फोन नंबर सक्रिय थे। साथ ही, उन्होंने आसपास के जिलों में लापता महिलाओं की रिपोर्ट्स की जांच शुरू की। कई हफ्तों की मेहनत के बाद, पुलिस को एक अहम सुराग मिला।
गाजियाबाद के एक थाने में एक युवती की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज थी। उसका नाम था प्रिया शर्मा, उम्र 22 साल, जो गाजियाबाद में एक कॉल सेंटर में काम करती थी। उसकी मां ने बताया कि प्रिया कुछ महीने पहले अचानक गायब हो गई थी, और उसने अपने दोस्त राहुल नाम के एक लड़के के बारे में बताया था, जो बुलंदशहर का रहने वाला था।
पुलिस ने प्रिया के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल्स निकालीं, तो पता चला कि उसका फोन मई 2020 से बंद था। लेकिन उसका व्हाट्सएप अकाउंट अभी भी सक्रिय था, और उसकी प्रोफाइल पिक्चर समय-समय पर बदल रही थी। यह बात पुलिस को शक के दायरे में ले आई। सर्विलांस टीम ने राहुल के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। पता चला कि राहुल भटौना गांव का ही रहने वाला था और मकान नंबर 13 के पास रहता था। उसका पूरा नाम था राहुल त्यागी, और वह गाजियाबाद में एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था।
पुलिस ने राहुल को हिरासत में लिया। शुरुआत में उसने कुछ भी बताने से इनकार किया, लेकिन जब पुलिस ने उसके फोन की लोकेशन डिटेल्स और प्रिया के व्हाट्सएप अकाउंट की जानकारी उसके सामने रखी, तो वह टूट गया। उसने कबूल किया कि प्रिया उसकी गर्लफ्रेंड थी, और वह उसे गाजियाबाद से भटौना गांव लेकर आया था।
प्रिया और राहुल की कहानी
राहुल ने बताया कि प्रिया और उसकी मुलाकात गाजियाबाद में एक कॉल सेंटर में हुई थी। दोनों की दोस्ती जल्दी ही प्यार में बदल गई। प्रिया एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी और अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। वह पढ़ाई में अच्छी थी और अपने करियर को लेकर महत्वाकांक्षी थी। राहुल ने उसे शादी का झांसा देकर भटौना गांव बुलाया था। उसने प्रिया को बताया था कि वह अपने परिवार से मिलवाएगा, और फिर दोनों शादी कर लेंगे।
लेकिन जब प्रिया भटौना पहुंची, तो उसे पता चला कि राहुल पहले से शादीशुदा था। उसकी पत्नी और दो बच्चे गांव में रहते थे। यह बात जानकर प्रिया गुस्से से आगबबूला हो गई। उसने राहुल से कहा कि वह उसके साथ धोखा नहीं सहन करेगी और अपने परिवार के पास वापस जाएगी। उसने यह भी धमकी दी कि वह राहुल की पत्नी को सब कुछ बता देगी और पुलिस में शिकायत करेगी।
राहुल को डर था कि अगर प्रिया ने ऐसा किया, तो उसकी शादी टूट जाएगी, और उसकी बदनामी पूरे गांव में होगी। उसने अपने एक दोस्त, संजय, और अपनी पत्नी रेखा को इस बारे में बताया। दोनों ने मिलकर फैसला किया कि प्रिया को रास्ते से हटाना होगा। एक रात, जब प्रिया मकान नंबर 13 में ठहरी थी, राहुल ने उसे नशीली कोल्ड ड्रिंक पिलाई। जब वह बेहोश हो गई, तो राहुल, संजय और रेखा ने मिलकर उसका गला दबाकर हत्या कर दी।
हत्या के बाद, उन्होंने प्रिया की लाश को मकान के पीछे की झाड़ियों में दफना दिया। चेहरा खराब करने के लिए उन्होंने पत्थर से कई बार प्रहार किया ताकि उसकी पहचान न हो सके। राहुल ने प्रिया का मोबाइल रख लिया और उसका व्हाट्सएप अकाउंट चलाता रहा ताकि उसके परिवार को लगे कि वह जिंदा है।
पुलिस ने राहुल की निशानदेही पर संजय और रेखा को भी गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने मकान नंबर 13 से हत्या में इस्तेमाल किया गया पत्थर और कुछ अन्य सबूत बरामद किए। प्रिया के परिवार को बुलाकर सारी घटना की जानकारी दी गई। परिवार सदमे में था, लेकिन उन्हें इस बात का सुकून था कि उनकी बेटी के कातिल पकड़े गए।
पुलिस ने डीएनए जांच के लिए प्रिया के परिवार के ब्लड सैंपल लिए और लाश के सैंपल से मिलान किया। जांच में पुष्टि हुई कि मकान नंबर 13 में मिली लाश प्रिया की ही थी। सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
डिस्क्लेमर: यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है और इसका किसी वास्तविक व्यक्ति, स्थान, या घटना से कोई संबंध नहीं है। यह एक सस्पेंस और रहस्यमयी कहानी है, जिसे सिर्फ मनोरंजन के उदेश्य से लिखा गया है।
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