Relationship Tips: शादी सिर्फ दो लोगों का साथ नहीं होती, बल्कि यह भरोसे और सच्चाई पर टिकी एक डोर होती है। पति-पत्नी का रिश्ता तभी मजबूत बनता है जब दोनों एक-दूसरे से खुलकर अपनी बातें साझा करें। अगर इस रिश्ते में झूठ या बाते छुपाने की जगह आ जाए, तो धीरे-धीरे यह डोर कमजोर होने लगती है।
अक्सर महिलाएँ छोटी-बड़ी बातों को अनदेखा कर देती हैं या सोचती हैं कि यह बताने लायक नहीं है, लेकिन सच यही है कि कुछ बातें पति से कभी भी छुपानी नहीं चाहिए। आइए जानते हैं वो 5 बातें, जिन्हें छुपाने से रिश्ते में गलतफहमियां और दूरियां आ सकती हैं।
पैसों से जुड़ी सच्चाई.
वैवाहिक जीवन में आर्थिक जिम्मेदारियाँ पति-पत्नी दोनों के बीच बराबर बंटी होती हैं। ऐसे में अगर पत्नी अपनी कमाई, सेविंग्स या खर्चों की सही जानकारी पति से नहीं शेयर करती, तो यही बात अविश्वास की वजह बन सकता है। कई बार महिलाएँ लोन या कर्ज की बात छुपा लेती हैं, लेकिन जब सच सामने आता है तो विवाद और गलतफहमी पक्की हो जाती है। इसलिए पैसों के मामले में हमेशा ट्रांसपरेंसी बनाए रखना जरूरी है।
अतीत से जुड़े राज़.
देखिये हर इंसान का अतीत होता है, लेकिन शादी के बाद उस अतीत को सही समय पर साझा करना बेहद जरूरी है। अगर पत्नी का कोई पुराना रिश्ता रहा हो या किसी बड़ी गलती का हिस्सा रही हो और वह इसे छुपा ले, तो पति के मन में भरोसे की दीवार खड़ी हो सकती है। भले ही सच्चाई कड़वी क्यों न हो, लेकिन इसे पति से खुद बताना ही सही है। ऐसा करने से रिश्ते की नींव और भी मजबूत होती है। हालंकि कुछ मामलो में छुपा भी सकती है। कुछ अतीत ऐसे होते है की ना ही बताये तो सही है।
परिवार और रिश्तेदारों की बातें.
भारत में शादी सिर्फ दो लोगों का नहीं बल्कि दो परिवारों का मेल होता है। अगर पत्नी घर में चल रही समस्याओं या रिश्तेदारों की कही-कही बातों को छुपाती है, तो आगे चलकर यही बातें विवाद को जन्म देती हैं। पति-पत्नी का रिश्ता तभी सही रहता है जब दोनों परिवारों से जुड़ी छोटी-बड़ी बातें खुलकर साझा करें। इससे समाधान निकालना आसान होता है और गलतफहमियों की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है।
सेहत से जुड़ी परेशानी.
अक्सर महिलाएँ अपनी बीमारी या स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को नज़रअंदाज़ कर देती हैं। कई बार वे सोचती हैं कि पति को बताने से अनावश्यक चिंता होगी, लेकिन यही चुप्पी आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती है। अगर पत्नी को कोई भी शारीरिक या मानसिक परेशानी है तो पति से इसे साझा करना जरूरी है। ऐसा करने से न केवल देखभाल मिलती है बल्कि भावनात्मक सहारा भी मिलता है।
भावनाएँ और मन की बातें.
पति-पत्नी का रिश्ता तभी गहरा होता है जब दोनों एक-दूसरे के मन की बातें सुनें और समझें। अगर पत्नी अपनी नाराज़गी, दुख या असंतोष पति से नहीं कहती, तो दिल में दूरी पैदा होने लगती है। धीरे-धीरे गुस्सा और चुप्पी रिश्ता ठंडा कर देती है। इसलिए यह जरूरी है कि भावनाएँ दिल में दबाने के बजाय खुलकर साझा की जाएँ। इससे प्यार और विश्वास दोनों और गहरे होते हैं।
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