Romantic Story: बिहार के मधुबनी जिले के एक छोटे से गांव में रजनी अपने ढाई कमरे के छोटे से घर में अपनी दो साल की बेटी खुशी के साथ रहती थी। उम्र यही कोई लगभग 28 की थी, लेकिन देखने में 20 की लगती थी। गेहुँआ रंग, बड़ी-बड़ी काली आंखें, लंबे बाल और छरहरा बदन जो किसी को भी अपना दीवाना बना दे। गांव की औरतें उसे देख जलती थीं और मर्दों की नजरें उसके पीछे घूमा करती थीं।
स्मार्टफोन ने दिलाया प्यार का अहसास।
चार साल पहले उसकी शादी हुई थी महेश से। महेश, गांव का ही लड़का, मेहनती और सीधा-सच्चा इंसान। लेकिन गांव में रोज़गार ना होने की वजह से शादी के कुछ महीने बाद ही गुजरात चला गया नौकरी करने। वहाँ पर वो एक प्राइवेट फैक्ट्री में काम करता था, जहां पगार भी बस ठीक-ठाक ही मिलती थी। तीन-तीन महीने में एक बार घर आता, कुछ दिन बेटी और बीवी के साथ बिताता और फिर वापिस चला जाता।
इधर रजनी की ज़िंदगी गांव में अकेले कट रही थी। शुरू में तो सास-ससुर और देवर के साथ रही, लेकिन आए दिन होने वाले झगड़ो से तंग आकर या ऐसा कहे की खुद ही घर में क्लेश मचा कर रजनी ने अलग रहने का फैसला कर लिया। अब वो आराम से बिना किसी रोकटोक के खुद ही दुनिया में रहने लगी।
एक दिन रजनी ने महेश से जिद पकड़ ली। “महेश, मुझे एक स्मार्टफोन चाहिए। गाँव की सारी औरतों के पास है, बस मेरे पास नहीं।आप जब बाहर रहते हो तो बात भी ठीक से नहीं हो पाती, वीडियो कॉल भी नहीं कर पाती। दिनभर घर में अकेली रहती हूँ, कुछ तो समय कटे!” महेश ने पहले तो टालने की बहुत कोशिश की, लेकिन रजनी की जिद के आगे उसकी एक न चली। उसने किसी तरह 28,000 रुपये का इंतजाम किया और रजनी को एक चमचमाता स्मार्टफोन लाकर दे दिया। फोन पाकर रजनी की खुशी का ठिकाना न रहा। वो फोन को ऐसे देख रही थी, जैसे कोई खजाना मिल गया हो।
रजनी ने सबसे पहले इंस्टाग्राम पर अकाउंट बनाया। उसने अपनी कुछ तस्वीरें डालीं—खेतों के बीच खड़ी, साड़ी में सजी-धजी, और खुशी को गोद में लिए हुए। देखते ही देखते उसके फॉलोअर्स बढ़ने लगे। उसके गाँव( मायके) की कुछ सहेलियाँ, दूर के रिश्तेदार, और कुछ अनजान लोग भी उसकी तस्वीरों पर लाइक और कमेंट करने लगे। रजनी को ये सब बड़ा अच्छा लगता। दिनभर घर के काम निपटाने के बाद वो रात को फोन लेकर बैठ जाती और इंस्टा पर समय बिताती।
संदीप का हुआ आगमन।
एक रात, जब रजनी अपने फोन में खोई हुई थी, उसे एक फॉलो रिक्वेस्ट आई। प्रोफाइल का नाम था संदीप। नाम पढ़ते ही रजनी को कुछ जाना-पहचाना सा लगा। उसने प्रोफाइल खोली तो देखा, ये तो वही संदीप था, जो रिश्ते में उसका भतीजा लगता था। संदीप गाँव का ही था 25 साल का जवान लड़का, जिसकी हँसी और बातें गाँव की लड़कियों को दीवाना बनाती थीं। रजनी ने सोचा, अरे ये तो संदीप है! इसे तो मैं जानती हूँ। और उसने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली।
अगले दिन सुबह संदीप का मैसेज आया, “हाय चाची, आप इंस्टा पर? बड़ी अच्छी तस्वीरें डाली हैं!” रजनी को ये पढ़कर हँसी आ गई। उसने जवाब दिया, “हाँ संदीप, नया-नया फोन लिया है, तो सोचा थोड़ा टाइमपास कर लूँ।” बस यहीं से दोनों की बातें शुरू हो गईं। पहले तो बातें साधारण थीं गुड मॉर्निंग, गुड इवनिंग, गाँव की खबरें, और हल्की-फुल्की मजाक मस्ती।
लेकिन धीरे-धीरे बातें बढ़ने लगीं। संदीप ने एक दिन रजनी से कहा, “चाची, आपका नंबर मिल सकता है? व्हाट्सएप पर बात करेंगे ज्यादा मजा आएगा। रजनी को तो पहले थोड़ा हिचकिचाहट हुई, लेकिन फिर उसने सोचा, क्या बुराई है? गाँव का ही तो है। उसने अपना नंबर दे दिया।
जब प्यार का नशा चढ़ता है।
व्हाट्सएप पर बातें शुरू हुईं तो जैसे रजनी की जिंदगी में एक नया रंग घुलने लगा। संदीप की बातों में एक अजीब सा जादू था। वो रजनी की तारीफ करता, उसकी तस्वीरों पर दिल वाले इमोजी भेजता, और रात-रात भर चैट करता। रजनी को ये सब नया-नया था। महेश से उसे कभी ऐसी बातें सुनने को नहीं मिली थीं। महेश का प्यार सादा था, सीधा था, लेकिन संदीप की बातें रजनी के दिल को छूने लगी थीं।
एक रात, जब खुशी सो चुकी थी, संदीप ने वीडियो कॉल किया। रजनी ने पहले तो मना किया, लेकिन संदीप के जिद करने पर वो मान गई। स्क्रीन पर संदीप को देखकर रजनी का दिल धड़कने लगा। संदीप ने हँसते हुए कहा, “चाची, आप तो सचमुच बहुत खूबसूरत हो। चाँद भी आपके सामने फीका पड़ जाए।” रजनी का चेहरा शर्म से लाल हो गया। उसने हँसकर बात टाल दी, लेकिन उस रात वो सो नहीं पाई। संदीप की बातें उसके दिमाग में घूमती रहीं।
धीरे-धीरे उनकी बातें रोमांटिक होने लगीं। संदीप रजनी को “चाची” कहना छोड़कर “रजनी” कहने लगा। वो उसे प्यार भरे मैसेज भेजता “तुम्हारी मुस्कान मेरे दिन को रोशन कर देती है” या “काश मैं तुम्हारे पास होता, तुम्हें अपनी बाँहों में लेता।” रजनी को ये सब गलत लगता था, लेकिन फिर भी वो खुद को रोक नहीं पाती थी। वो संदीप की बातों में डूबती चली गई। दोनों रात-रात भर बातें करते, कभी-कभी तो सुबह के चार बज जाते थे। दोनों तरफ से रोमांटिक इमेज वीडियो का भी आदान प्रदान होने लगा था।
रात के अंधेरे में मिलन।
एक रात संदीप ने रजनी से कहा, “रजनी, मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ। बस एक बार, तुम्हारे पास आऊँ?” रजनी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसने मना किया, लेकिन संदीप ने इतनी मिन्नत की कि वो मान गई। रात के दो बज रहे थे, जब पूरा गाँव सो चुका था, संदीप चुपके से रजनी के घर के पीछे वाले दरवाजे से अंदर आया। रजनी ने उसे अपने बेडरूम में बुलाया। दोनों एक-दूसरे को देखकर खामोश थे। फिर संदीप ने धीरे से रजनी का हाथ पकड़ा और कहा, “रजनी, तुम मेरी जिंदगी हो।” रजनी कुछ बोल नहीं पाई। उस रात दोनों ने सारी हदें पार कर दीं। सुबह होने से पहले संदीप चुपके से निकल गया।
ऐसे ही कई रातें बीतने लगीं। संदीप जब मौका मिलता, रजनी के बुलाने पर उसके घर चला जाता। दोनों एक-दूसरे में खोए रहते। रजनी को लगता कि वो संदीप के प्यार में पड़ चुकी है। उसने महेश और अपनी शादी को भूलना शुरू कर दिया।
जब हुआ भंडाफोड़।
लेकिन गाँव की आँखें और कान बड़े तेज होते हैं। एक रात रजनी का देवर, रमेश, बहार फ्रेश होने के लिए निकला तो उसने संदीप को रजनी के घर से निकलते देख लिया। रमेश को शक हुआ। उसने तुरंत गुजरात में महेश को फोन किया और सारी बात बता दी। महेश के पैरों तले जमीन खिसक गई। वो अगले ही दिन गाँव के लिए रवाना हो गया।
जब महेश घर पहुँचा, उसने रजनों से सख्ती से पूछा, “रजनी, ये संदीप के साथ क्या चल रहा है?” रजनी ने साफ मना कर दिया। उसने उल्टा महेश और रमेश पर गुस्सा निकालने लगी। लेकिन महेश ने उसका फोन चेक किया। व्हाट्सएप की चैट्स और कॉल हिस्ट्री ने सारा सच उगल दिया। रजनी की आँखों में आँसू थे, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने कहा, “हाँ, मैं संदीप से प्यार करती हूँ। मैं उसी के साथ रहूँगी, उसी से शादी करूँगी।”
महेश को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन उसने खुद को संभाला। गाँववालों को बुलाया। गाँव के पास एक मंदिर में, उसने रजनी और संदीप को ले जाकर उनकी शादी करा दी। रजनी ने खुशी को अपनी गोद में लिया और एक नई जिंदगी की ओर बढ़ गई। लेकिन गाँव में ये बात आग की तरह फैल गई। लोग कहते, रजनी ने जो किया, वो गलत था। लेकिन प्यार का नशा ऐसा ही होता है। जो सारी मान मर्यादा ताक पर रख देता है।
नोट: यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इसका किसी भी घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है।
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